Lakshmi Panchami 2025 Date

lakshmi panchami date

Lakshmi Panchami 2025 Date, लक्ष्मी पंचमी


Sri Lakshmi Panchami is celebrated on the Panchami Tithi of Shukla Paksha in month of Chaitra. This is the first week of Hindu New Year. Lakshmi Panchami which is also known by the name of Shri Panchami and Shri Vrata is the day which is dedicated to Goddess Lakshmi. Goddess Lakshmi, the Goddess of wealth and prosperity, is worshipped on this auspicious day and worshipping Mata Lakshmi at the start of Hindu New Year is considered very auspicious. Goddess Lakshmi is also known by the name of "Shri" or "Sri".

As per Vedas, Chaitra Shukla Panchami is related to Kalpadi Tithi, i.e. starrting of a Kalpa. There are 7 kalpadi days in a year which also includes Gudi Padwa/Ugadi and Akshaya Tritiya. Check Out the Lakshmi Panchami date for the current year.

Lakshmi Panchami 2025 Date - 2nd April, Wednesday

Panchami Tithi Begins - 02:32 AM on Apr 02, 2025
Panchami Tithi Ends - 11:49 PM on Apr 02, 2025

How Goddess Lakshmi helps her devotee?

As per Shastras, worshipping Goddess Lakshmi removes poverty from a person’s life. As Goddess of wealth and money, Goddess Laxmi blesses all her devotees with wealth and prosperity. People who faces problems in jobs, service or business can pray to Maa Lakshmi for elimination of these problems. Worship of Goddess Lakshmi on this day eliminates poverty and helps in gaining wealth and prosperity. Kanakdhara Stotra, Laxmi Stotram, Laxmi Suktam and Lakshmi Mantra's can be recited on this day. You must also pray to Sri Vishnu Bhagwan along with Maa Lakshmi for your prayers to get answer sooner.

How to worship Goddess Lakshmi on Lakshmi Panchmi day / How to do Fast on Lakshmi Panchami

You must clean your home and throw away the things you do not need prior to Lakshmi Panchami fast. Then on the day of Lakshmi Panchami wake up early in the morning and after taking a bath, either go in a nearby temple or worship and pray Goddess Lakshmi in your home temple. You must also worship Mata Lakshmi in your office/Shop/Showroom/Factory.

Lord Ganesha must be worshipped before worshipping Maa Lakshmi. Give offerings to Lord Ganesha before offering to Goddess Lakshmi, as Ganesha is regarded as the Devta who is worshipped first or known by the name of "pratham pujya. for any auspicious works. It is to be noted that Lord Ganesha and Mata Lakshmi must be worshipped with complete faith and devotion.

First chant Ganesh Mantra and then Goddess Laxmi’s mantras. If you have an idol of Maa Lakshmi, you can pour Panchamrit over it. Apply Sandalwood, offer flowers, rice, durva, red thread, supari, coconut and any other fruits. Please remember that if you do not have any of the offerings, it does not matter only what matters is you must have that "bhav" for praying Mata Lakshmi. Offer food and dakshina to a nearby Brahman and Brahmani.

If you are fasting on Sri Lakshmi Panchami day, prefer to eat only fruits, tea, milk etc. and not any "roti-subzi" till your fast is over. If you are married, prefer to do perform puja with your better half.

Types of Wealth a person gets after Worshipping Maa Lakshmi

Worshipping Goddess Lakshmi on Lakshmi Panchami bestows sixteen types of wealth on the worshipper which includes fame, knowledge, courage, victory, child boon, valour, gold, grains, happiness, well being and satisfaction, bliss, intelligence, beauty, higher goals, morality and health. To attain prosperity, Lakshmi Panchami day is observed as Shri Panchami in South India, people in Western India, especially in Maharashtra and Goa also worship Maa Lakshmi on this pious day.

Note:There is totally another day of Shri Panchami or Vasant Panchami that is dedicated to Goddess Saraswati, the Goddess of knowledge and fine arts.

चैत्र अमावस्या 2025: इस दिन भूलकर भी न करें ये 7 गलतियां, वरना बढ़ सकती हैं परेशानियां!

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चैत्र अमावस्या 2025 पर ये 5 काम करने से मिलेगी पितरों की कृपा, धन-समृद्धि होगी दोगुनी!

हिंदू धर्म में चैत्र अमावस्या का विशेष महत्व है, जो हर साल चैत्र महीने में आती है। इस दिन को पूर्वजों को समर्पित माना जाता है और उनके मोक्ष व शांति के लिए तर्पण एवं श्राद्ध जैसे धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस तिथि पर कोई भी शुभ कार्य करने से बचना चाहिए, क्योंकि इस दौरान बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है। जो लोग पितृ दोष से मुक्ति पाना चाहते हैं, उन्हें प्रातःकाल उठकर सूर्यदेव को अर्घ्य देना चाहिए और किसी योग्य पुरोहित की उपस्थिति में पिंडदान एवं तर्पण करना चाहिए।

चैत्र अमावस्या 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र अमावस्या 2025 की शुरुआत 28 मार्च की रात 07:55 बजे होगी और इसका समापन 29 मार्च को शाम 04:27 बजे होगा। पंचांग के अनुसार, इस वर्ष चैत्र अमावस्या का पर्व 29 मार्च को मनाया जाएगा।

चैत्र अमावस्या का धार्मिक महत्व

सनातन परंपरा में चैत्र अमावस्या का विशेष स्थान है। यह तिथि पितरों के तर्पण और श्राद्ध के लिए अति शुभ मानी जाती है। मान्यता है कि इस दिन किए गए धार्मिक कर्म पितरों को मोक्ष प्रदान करने में सहायक होते हैं। इसके अलावा, इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने और दान-पुण्य करने से भी विशेष फल की प्राप्ति होती है।

चैत्र अमावस्या पर ध्यान रखने योग्य बातें

  • इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करें।
  • दान-पुण्य का विशेष महत्व होता है, अतः अधिक से अधिक दान करें।
  • ब्राह्मणों को भोजन कराएं और जरूरतमंदों की सहायता करें।
  • नकारात्मक विचारों से बचें और किसी भी विवाद में न पड़ें।
  • तामसिक भोजन का सेवन न करें।
  • इस दिन किसी नए कार्य की शुरुआत न करें।

पितृ दोष निवारण के उपाय

यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष है, तो चैत्र अमावस्या के दिन विशेष अनुष्ठान करने से लाभ प्राप्त होता है। इस दिन विधिपूर्वक पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध करने से पितृ दोष का प्रभाव कम होता है और पूर्वजों को मोक्ष प्राप्त होता है।

चैत्र अमावस्या का यह पावन पर्व पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। सही विधि से पूजा-अर्चना करने से परिवार पर आने वाली बाधाएं दूर हो सकती हैं और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होता है।

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चैत्र अमावस्या के दिन, 29 मार्च 2025 को, शनि देव मीन राशि में गोचर करेंगे। यह परिवर्तन सभी 12 राशियों पर विभिन्न प्रभाव डालेगा। नीचे प्रत्येक राशि के लिए संभावित प्रभाव और उपाय दिए गए हैं:​


मेष राशि:


संभावित प्रभाव: धन हानि और करियर में बाधाएं आ सकती हैं।​
उपाय: शनिवार को हनुमान चालीसा का पाठ करें और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।​


वृषभ राशि:


संभावित प्रभाव: आर्थिक स्थिरता में कमी और मानसिक तनाव संभव है।​
उपाय: शनिवार को देवी दुर्गा के बीज मंत्र का जाप करें और जरूरतमंदों को भोजन कराएं।​


मिथुन राशि:


संभावित प्रभाव: स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं और शत्रु पक्ष से परेशानी हो सकती है।​
उपाय: शनिवार को दिव्यांग व्यक्तियों को भोजन कराएं और शनि मंत्रों का जाप करें।​


कर्क राशि:


संभावित प्रभाव: पारिवारिक कलह और आर्थिक चुनौतियाँ सामने आ सकती हैं।​
उपाय: शनिवार को काली उड़द दाल का दान करें और शिव पूजा करें।​


सिंह राशि:


संभावित प्रभाव: मानसिक तनाव और धन हानि की संभावना है।​
उपाय: महाराज दशरथ द्वारा रचित नील शनि स्तोत्र का पाठ करें और गेहूं, गुड़ का दान करें।​


कन्या राशि:


संभावित प्रभाव: स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ और कार्यस्थल पर बाधाएं आ सकती हैं।​
उपाय: शनिवार को छाता दान करें और जरूरतमंदों की सहायता करें।​


तुला राशि:


संभावित प्रभाव: आर्थिक नुकसान और शत्रु पक्ष से तनाव संभव है।​
उपाय: शनिवार को सरसों के तेल में बने उड़द दाल के पकौड़े गरीबों को खिलाएं और माता लक्ष्मी की पूजा करें।​


वृश्चिक राशि:


संभावित प्रभाव: मानसिक अशांति और धन हानि की संभावना है।​
उपाय: शनिवार को हनुमान चालीसा का आठ बार पाठ करें और शनि मंदिर में सरसों का तेल चढ़ाएं।​


धनु राशि:


संभावित प्रभाव: आर्थिक चुनौतियाँ और स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।​
उपाय: शनिवार को काले तिल का दान करें और शनि मंत्रों का जाप करें।​


मकर राशि:

संभावित प्रभाव: करियर में बाधाएं और मानसिक तनाव संभव है।​
उपाय: शनिवार को व्रत रखें और शनि चालीसा का पाठ करें।​


कुंभ राशि:


संभावित प्रभाव: आर्थिक स्थिरता में कमी और पारिवारिक तनाव हो सकता है।​
उपाय: शनिवार को शनि चालीसा का पाठ करें और जरूरतमंदों को भोजन कराएं।​


मीन राशि:

संभावित प्रभाव: स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ और मानसिक तनाव की संभावना है।​
उपाय: शनिवार को छाया दान करें और शनि मंत्रों का जाप करें।​

सामान्य उपाय:

शनिवार को शनि मंदिर में जाकर सरसों या तिल का तेल चढ़ाएं और "ॐ शं शनैश्चराय नमः" मंत्र का 108 बार जाप करें।​
गरीबों को अन्न, वस्त्र, तिल, और गुड़ का दान करें।​
पीपल वृक्ष की पूजा करें और सरसों के तेल का दीपक जलाएं।​

नोट: उपरोक्त उपायों का पालन करते समय श्रद्धा और विश्वास रखना आवश्यक है। यदि आप अपनी कुंडली में शनि के प्रभाव को लेकर चिंतित हैं, तो किसी योग्य ज्योतिषी से परामर्श करें।​

pitra chalisa in hindi - क्या आपके पूर्वज नाराज़ हैं? पितृ चालीसा से पाएं उनका आशीर्वाद! 💫🕉️

क्या आपके पूर्वज नाराज़ हैं? पितृ चालीसा से पाएं उनका आशीर्वाद! 💫🕉️

पितृ चालीसा का जादुई प्रभाव! जानें क्यों यह आपकी ज़िंदगी बदल सकता है! 🌟🙏

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पितृ चालीसा का महत्व

पितृ चालीसा हिंदू धर्म में पूर्वजों (पितरों) की शांति और कृपा प्राप्त करने के लिए पढ़ी जाने वाली एक महत्वपूर्ण स्तुति है। यह चालीसा उन आत्माओं को श्रद्धांजलि देने और उनके आशीर्वाद को प्राप्त करने का माध्यम है जो हमारे पूर्वज रहे हैं।

कैसे करें पितृ चालीसा का पाठ?

  • प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

  • अपने पूर्वजों का स्मरण करें और उनके लिए तिल, जल और पुष्प अर्पित करें।

  • शांत मन से पितृ चालीसा का पाठ करें।

  • अंत में अपने पितरों से आशीर्वाद की प्रार्थना करें।

पितृ चालीसा एक आध्यात्मिक साधना है जो न केवल पितरों की कृपा प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण है बल्कि इसे पढ़ने से जीवन में आने वाली कई समस्याओं का समाधान भी संभव है। पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए इसका नियमित रूप से श्रद्धा भाव से पाठ करना अत्यंत लाभकारी होता है।

ॐ पितृभ्यः नमः 🙏


''श्री पितृ चालीसा''


।।दोहा।।

हे पितरेश्वर आपको दे दो आशीर्वाद,

चरण शीश नवा दियो रख दो सिर पर हाथ।

सबसे पहले गणपत पाछे घर का देव मनावा जी।

हे पितरेश्वर दया राखियो,करियो मन की चाया जी।।


।।चौपाई।।

पितरेश्वर करो मार्ग उजागर,

चरण रज की मुक्ति सागर ।

परम उपकार पित्तरेश्वर कीन्हा,

मनुष्य योणि में जन्म दीन्हा ।

मातृ-पितृ देव मन जो भावे,

सोई अमित जीवन फल पावे ।

जै-जै-जै पितर जी साईं,

पितृ ऋण बिन मुक्ति नाहिं ।

चारों ओर प्रताप तुम्हारा,

संकट में तेरा ही सहारा ।

नारायण आधार सृष्टि का,

पित्तरजी अंश उसी दृष्टि का ।

प्रथम पूजन प्रभु आज्ञा सुनाते,

भाग्य द्वार आप ही खुलवाते ।

झुंझुनू में दरबार है साजे,

सब देवों संग आप विराजे ।

प्रसन्न होय मनवांछित फल दीन्हा,

कुपित होय बुद्धि हर लीन्हा ।

पित्तर महिमा सबसे न्यारी,

जिसका गुणगावे नर नारी ।

तीन मण्ड में आप बिराजे,

बसु रुद्र आदित्य में साजे ।

नाथ सकल संपदा तुम्हारी,

मैं सेवक समेत सुत नारी ।

छप्पन भोग नहीं हैं भाते,

शुद्ध जल से ही तृप्त हो जाते ।

तुम्हारे भजन परम हितकारी,

छोटे बड़े सभी अधिकारी ।

भानु उदय संग आप पुजावै,

पांच अँजुलि जल रिझावे ।

ध्वज पताका मण्ड पे है साजे,

अखण्ड ज्योति में आप विराजे ।

सदियों पुरानी ज्योति तुम्हारी,

धन्य हुई जन्म भूमि हमारी ।

शहीद हमारे यहाँ पुजाते,

मातृ भक्ति संदेश सुनाते ।

जगत पित्तरो सिद्धान्त हमारा,

धर्म जाति का नहीं है नारा ।

हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई

सब पूजे पित्तर भाई ।

हिन्दू वंश वृक्ष है हमारा,

जान से ज्यादा हमको प्यारा ।

गंगा ये मरुप्रदेश की,

पितृ तर्पण अनिवार्य परिवेश की ।

बन्धु छोड़ ना इनके चरणाँ,

इन्हीं की कृपा से मिले प्रभु शरणा ।

चौदस को जागरण करवाते,

अमावस को हम धोक लगाते ।

जात जडूला सभी मनाते,

नान्दीमुख श्राद्ध सभी करवाते ।

धन्य जन्म भूमि का वो फूल है,

जिसे पितृ मण्डल की मिली धूल है ।

श्री पित्तर जी भक्त हितकारी,

सुन लीजे प्रभु अरज हमारी ।

निशिदिन ध्यान धरे जो कोई,

ता सम भक्त और नहीं कोई ।

तुम अनाथ के नाथ सहाई,

दीनन के हो तुम सदा सहाई ।

चारिक वेद प्रभु के साखी,

तुम भक्तन की लज्जा राखी ।

नाम तुम्हारो लेत जो कोई,

ता सम धन्य और नहीं कोई ।

जो तुम्हारे नित पाँव पलोटत,

नवों सिद्धि चरणा में लोटत ।

सिद्धि तुम्हारी सब मंगलकारी,

जो तुम पे जावे बलिहारी ।

जो तुम्हारे चरणा चित्त लावे,

ताकी मुक्ति अवसी हो जावे ।

सत्य भजन तुम्हारो जो गावे,

सो निश्चय चारों फल पावे ।

तुमहिं देव कुलदेव हमारे,

तुम्हीं गुरुदेव प्राण से प्यारे ।

सत्य आस मन में जो होई,

मनवांछित फल पावें सोई ।

तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई,

शेष सहस्त्र मुख सके न गाई ।

मैं अतिदीन मलीन दुखारी,

करहुं कौन विधि विनय तुम्हारी ।

अब पितर जी दया दीन पर कीजै,

अपनी भक्ति शक्ति कछु दीजै ।


।।दोहा।।

पित्तरों को स्थान दो, तीरथ और स्वयं ग्राम ।

श्रद्धा सुमन चढ़ें वहां, पूरण हो सब काम ।

झुंझनू धाम विराजे हैं, पित्तर हमारे महान ।

दर्शन से जीवन सफल हो, पूजे सकल जहान।।

जीवन सफल जो चाहिए, चले झुंझनू धाम ।

पितृ चरण की धूल ले, हो जीवन सफल महान।।


पितृ चालीसा पढ़ने का महत्व:

  1. पितृ दोष निवारण – यदि कुंडली में पितृ दोष है तो पितृ चालीसा का नियमित पाठ करने से इसका प्रभाव कम होता है।

  2. पितरों की कृपा – पूर्वज प्रसन्न होकर परिवार में सुख-शांति और समृद्धि प्रदान करते हैं।

  3. पूर्वजों की आत्मा को शांति – इसका पाठ करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और वे मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं।

  4. परिवार में सुख-समृद्धि – पितरों का आशीर्वाद मिलने से घर में धन-धान्य, सुख और समृद्धि बनी रहती है।

  5. बाधाओं से मुक्ति – यदि जीवन में कोई अज्ञात बाधा, मानसिक तनाव या स्वास्थ्य संबंधी समस्या हो रही है तो पितृ चालीसा का पाठ लाभकारी होता है।

  6. श्राद्ध पक्ष में विशेष महत्व – पितृ पक्ष में पितृ चालीसा का पाठ करना अत्यधिक शुभ माना जाता है और इससे पितर संतुष्ट होते हैं।

हनुमान जयंती 2025: इस शुभ मुहूर्त पर करें हनुमान चालीसा का पाठ, मिलेगी अपार कृपा!

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हनुमान जयंती 2025 कब है? तिथि, महत्व और चमत्कारी पूजा विधि जानें!

हनुमान जयंती 2025: तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व

हनुमान जयंती कब है
हर साल, चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि को हनुमान जयंती मनाई जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन माता अंजनी और वानरराज केसरी के आंगन में बजरंगबली का जन्म हुआ था। इस अवसर को हनुमान जन्मोत्सव के रूप में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। देशभर के हनुमान मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना होती है, और कई स्थानों पर भंडारे का आयोजन भी किया जाता है। माना जाता है कि इस दिन श्रद्धा भाव से हनुमान जी की आराधना करने से भक्तों की सभी परेशानियां दूर होती हैं और उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। आइए जानते हैं हनुमान जयंती 2025 की तिथि, पूजा मुहूर्त और इसके धार्मिक महत्व के बारे में।




हनुमान जयंती 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, हनुमान जयंती इस साल 12 अप्रैल 2025 को मनाई जाएगी।

  • पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 12 अप्रैल 2025 को सुबह 3:21 बजे
  • पूर्णिमा तिथि समाप्त: 13 अप्रैल 2025 को शाम 5:21 बजे

गौरतलब है कि हनुमान जन्मोत्सव राम नवमी के छह दिन बाद मनाया जाता है। इस साल राम नवमी 6 अप्रैल 2025 को पड़ेगी।

हनुमान जयंती का महत्व और पूजा विधि

हनुमान जयंती के दिन मंदिर जाकर हनुमान जी को सिंदूर, चमेली का तेल और बेसन के लड्डू अर्पित करना शुभ माना जाता है। ऐसा करने से बजरंगबली की कृपा प्राप्त होती है। इस दिन हनुमान चालीसा, बजरंग बाण और सुंदरकांड का पाठ करने से विशेष लाभ मिलता है। साथ ही, भगवान राम और माता सीता की पूजा करना भी आवश्यक माना जाता है, क्योंकि बिना श्रीराम की आराधना के हनुमान जी की पूजा अधूरी मानी जाती है।

हनुमान जयंती पर विशेष अनुष्ठान और उत्सव

हनुमान जयंती के दिन कई भक्त उपवास रखते हैं और दिनभर हनुमान जी के भजन-कीर्तन करते हैं। इस दिन कई मंदिरों में अखंड रामायण पाठ का आयोजन किया जाता है, जिसमें भक्तगण मिलकर श्रीरामचरितमानस का पाठ करते हैं। हनुमान जी को बल, बुद्धि और भक्तिभाव का प्रतीक माना जाता है, इसलिए इस दिन विशेष रूप से युवा और विद्यार्थी उनकी पूजा-अर्चना करते हैं।

उत्तर भारत में जहां यह पर्व चैत्र पूर्णिमा को मनाया जाता है, वहीं दक्षिण भारत में इसे कार्तिक मास में भी मनाने की परंपरा है। महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में हनुमान विजय उत्सव के रूप में यह दिन बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन हनुमान जी के भव्य जुलूस निकाले जाते हैं और श्रद्धालु उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए बड़ी संख्या में एकत्र होते हैं।

हनुमान जी को अजर-अमर देवता माना जाता है, और उनकी भक्ति करने से व्यक्ति के जीवन में धैर्य, शक्ति और सकारात्मकता का संचार होता है। हनुमान जयंती पर श्रद्धालु सच्चे मन से बजरंगबली की पूजा करें और उनके आशीर्वाद से जीवन में आने वाली हर बाधा को दूर करें। 

Pradosh Vrat 2025: इस दिन बन रहा है दुर्लभ योग, ऐसे करें शिव-शक्ति की पूजा!

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गुरु प्रदोष व्रत 2025: जानें शुभ योग, पूजा विधि और व्रत के अनमोल फायदे!

Guru Pradosh Vrat
Guru Pradosh Vrat 2025: सनातन धर्म में चैत्र माह का विशेष महत्व होता है। यह माह मां दुर्गा को समर्पित माना जाता है, और इस दौरान भक्त विशेष रूप से उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। चैत्र नवरात्रि में नौ दिनों तक देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना की जाती है और उपवास रखा जाता है। यह व्रत करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में मौजूद कष्टों का नाश होता है। आइए जानते हैं चैत्र माह के पहले प्रदोष व्रत की पूरी जानकारी।


प्रदोष व्रत 2025 शुभ मुहूर्त (Pradosh Vrat 2025 Shubh Muhurat)

वैदिक पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि का आरंभ 27 मार्च को रात 1:42 बजे होगा, और यह तिथि 27 मार्च की रात 11:03 बजे समाप्त होगी। त्रयोदशी तिथि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा प्रदोष काल में की जाती है। इस वर्ष, चैत्र माह का पहला प्रदोष व्रत 27 मार्च को रखा जाएगा। इस दिन प्रदोष काल शाम 6:36 बजे से रात 8:56 बजे तक रहेगा। भक्त अपनी सुविधा के अनुसार इस अवधि में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा कर सकते हैं।

शुभ योग और नक्षत्र (Pradosh Vrat 2025 Shubh Yog)

ज्योतिषीय दृष्टि से देखा जाए तो इस दिन साध्य और शुभ योग का संयोग बन रहा है, साथ ही शतभिषा नक्षत्र भी रहेगा। इन शुभ योगों में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं और जीवन की सभी परेशानियों से मुक्ति मिलती है। शिव-शक्ति की आराधना से सुख-समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

चैत्र प्रदोष व्रत 2025 (Chaitra Pradosh Vrat 2025)

प्रदोष व्रत विशेष रूप से भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता है। इस व्रत को करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है, साथ ही जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं। प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर यह व्रत रखा जाता है। प्रदोष व्रत का नाम उस दिन के आधार पर रखा जाता है जिस दिन यह पड़ता है। चूंकि इस बार यह व्रत गुरुवार को आ रहा है, इसलिए इसे गुरु प्रदोष व्रत कहा जाएगा।

चैत्र प्रदोष व्रत 2025 तिथि और मुहूर्त

  • तिथि का आरंभ: 27 मार्च 2025, रात 1:43 बजे
  • तिथि का समापन: 27 मार्च 2025, रात 11:03 बजे
  • प्रदोष पूजा का शुभ मुहूर्त: शाम 6:51 बजे से रात 9:12 बजे तक

प्रदोष व्रत के दौरान पालन करने योग्य नियम

  1. भगवान शिव को बेलपत्र, जल, फूल, भांग, धतूरा और धूप-दीप अर्पित करें।
  2. प्रदोष व्रत की कथा अवश्य पढ़ें और सुनें।
  3. पूजा के बाद शिव चालीसा का पाठ करें और शिव मंत्रों का जाप करें।
  4. भगवान शिव की आरती अवश्य करें।
  5. घर और मंदिर की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।
  6. काले रंग के वस्त्र पहनने से बचें।
  7. इस दिन किसी का अपमान न करें और न ही अपशब्द कहें।

गुरु प्रदोष व्रत 2025 का पालन करने से व्यक्ति को भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इस व्रत को विधिपूर्वक करने से जीवन में शांति, सफलता और सुख-समृद्धि का आगमन होता है।

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